2 दिन पहले
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फिल्ममेकर पायल कपाड़िया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ को साल 2024 के कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना गया है। इसकी अनाउंसमेंट पेरिस में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फेस्टिवल के प्रेसिडेंट आइरिस नॉब्लोच और जनरल डेलिगेट थियरी फ्रेमॉक्स ने की। पिछले 30 सालों के बाद कान्स के इस सेक्शन में पहुंचने वाली यह पहली भारतीय फिल्म होगी। साल 1983 में हुए कान्स फिल्म फेस्टिवल में मृणाल सेन की फिल्म ‘खारिज’ दिखाई गई थी।
इसके पहले पायल कपाड़िया की डॉक्यूमेंट्री ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ ने साल 2021 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में ओइल डी’ओर (गोल्डन आई) अवॉर्ड जीता था। इस बार होने वाला कान्स फिल्म फेस्टिवल 14 मई से 25 मई तक चलेगा।
पायल कपाड़िया के अलावा, ब्रिटिश-इंडियन फिल्म प्रोड्यूसर संध्या सूरी की ‘संतोष’ को भी फिल्म फेस्टिवल के 77वें संस्करण में दिखाया जाएगा। इस फिल्म को अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन के तहत दिखाया जाएगा। कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ को 19 मोस्ट अवेटेड टाइटल्स के साथ दिखाया जाएगा, जिसमें मास्टर डायरेक्टर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला की फिल्म मेगालोपोलिस और योर्गोस लैंथिमोस की काइंड्स ऑफ काइंडनेस शामिल हैं।
‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ की कहानी क्या है
पायल कपाड़िया की फिल्म एक नर्स की जिंदगी पर बेस्ड है। इस फिल्म में नर्स बनीं लीड किरदार का नाम प्रभा है। फिल्म की कहानी उसी के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती घूमती है। प्रभा अपने पति से काफी समय से अलग रह रही होती है। अचानक उसे एक दिन अपने पति का दिया एक गिफ्ट मिलता है। यहीं से उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है और उसका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
अनुराग कश्यप ने पायल कपाड़िया को बधाई दी।
फेस्टिवल में ये फिल्में दिखाई जो चुकी हैं
- साल 1983 में मृणाल सेन की फिल्म ‘खारिज’ दिखाई गई थी
- साल 1974 में एमएस सथ्यू की ‘गर्म हवा’ दिखाई गई थी
- साल 1958 में सत्यजीत रे की ‘पराश पत्थर’ दिखाई गई थी
- साल 1953 में राज कपूर की ‘आवारा’ दिखाई गई थी
- साल 1962 में वी शांताराम की ‘अमर भूपाली’ दिखाई गई थी
- साल 1946 में चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’ दिखाई गई थी