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Filmmaking AI Technology Explained; What Is Digital Double? | क्या बॉडी डबल की जगह लेगा डिजिटल डबल: दिवंगत एक्टर्स को वापस स्क्रीन पर देख पाएंगे; डायरेक्टर कुर्सी पर बैठेगा, सारा काम AI करेगी

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मुंबई3 दिन पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र/अभिनव त्रिपाठी

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रील टु रियल के नए एपिसोड में हमने फिल्म मेकिंग में AI के बढ़ते प्रभाव, महत्व और दुरुपयोग पर बात की। - Dainik Bhaskar

रील टु रियल के नए एपिसोड में हमने फिल्म मेकिंग में AI के बढ़ते प्रभाव, महत्व और दुरुपयोग पर बात की।

क्या कोई मरा हुआ एक्टर दोबारा पर्दे पर दिख सकता है? साधारण तौर पर इसका जवाब है- नहीं, लेकिन AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में यह संभव है। एक्टर की पुरानी फिल्मों, वीडियोज, फोटोज और पब्लिक अपियरेंस के विजुअल्स को इकट्ठा कर AI की मदद से एक वर्चुअल मॉडल तैयार किया जा सकता है। फिर इसे फिल्मों में यूज किया जा सकता है।

एक्टर की गैरमौजूदगी में बॉडी डबल उनके हिस्से की शूटिंग करते हैं, AI की मदद से इसकी भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी हेल्प से बॉडी डबल की जगह डिजिटल डबल डेवलप होगा, जो खतरनाक एक्शन सीक्वेंस आसानी से शूट कर देगा।

रील टु रियल के नए एपिसोड में हमने फिल्म मेकिंग में AI के बढ़ते प्रभाव, महत्व और दुरुपयोग पर बात की। इसके लिए दैनिक भास्कर ने VFX कंपनी चलाने वाले डायरेक्टर सैम भट्टाचार्जी से चर्चा की।

बॉडी डबल की जगह लेगा डिजिटल डबल?
आप फिल्मी टर्म में बॉडी डबल का काम तो जानते ही होंगे। बॉडी डबल उसे कहते हैं, जो एक्टर्स की गैरमौजूदगी में उनके हिस्से की शूटिंग करते हैं। सैम के मुताबिक, वो दिन दूर नहीं जब बॉडी डबल की जगह डिजिटल डबल जैसी चीजें सुनने को मिलेंगी। डिजिटल डबल AI के जरिए डेवलप की गई एक टेक्नोलॉजी है, जिसका यूज फिल्मों में किया जा रहा है। हॉलीवुड में इसकी शुरुआत हो चुकी है। आने वाले समय में इंडियन सिनेमा में भी इस टेक्नोलॉजी का यूज किया जाएगा।

अब समझिए, डिजिटल डबल है क्या?
एक्टर के चेहरे और बॉडी को AI की मदद से पहले स्कैन किया जाता है। AI एक्टर के चेहरे से लेकर उनके हाव भाव को समझती है। फोटोगैमेट्री नाम की एक मशीन के जरिए एक्टर की बॉडी को 360 डिग्री तक स्कैन किया जाता है, फिर उससे वर्चुअली एक्टर की तरह दिखने वाला एक हमशक्ल तैयार किया जाता है। यह देखने में बिल्कुल इंसान की तरह दिखेगा, हालांकि उसे छुआ या महसूस नहीं किया जा सकता।

सैम भट्टाचार्जी ने कहा कि हॉलीवुड फिल्मों में AI टेक्नोलॉजी का काफी यूज किया जाता है। एक्शन सीक्वेंस को फिल्माने में इस कॉन्सेप्ट का सबसे ज्यादा यूज किया जाता है। फिल्म एक्स मकिना, द मैट्रिक्स और रोबोट एंड फ्रैंक में इस तकनीक का काफी प्रयोग हुआ है।

यह फिल्म एक्स मकिना का एक सीन है।

यह फिल्म एक्स मकिना का एक सीन है।

एक्टर्स को जवान या उम्रदराज दिखाने के लिए मेकअप की जरूरत नहीं
यह ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो किसी इंसान को 100 साल का बुजुर्ग और 10 साल के बच्चे की तरह भी दिखा सकती है। सैम ने बताया कि पहले इसे मैनुअली किया जाता था, मतलब एक्टर को कम उम्र का दिखाने के लिए मेकअप का यूज किया जाता है। अब AI के आ जाने से मेकअप वगैरह करने की जरूरत ही नहीं है।

डायरेक्टर कुर्सी लगाकर बैठ जाएगा, सारा काम AI करेगी
सैम ने कहा- AI को मैनेज करने वाली कंपनियों का दावा है कि एक समय ऐसा भी आएगा कि डायरेक्टर बस कुर्सी लगाकर बैठ जाएगा। कैमरा वर्क से लेकर स्क्रिप्टिंग तक का सारा काम AI के जरिए हो जाएगा। एक्टर्स की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उन्हें ऑलरेडी वर्चुअली बनाया जा चुका होगा।

आप फिलहाल चैट GPT का उदाहरण लीजिए। चैट GPT के जरिए आप जो चाहे वो लिख सकते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इसमें ह्यूमन की जरूरत नहीं पड़ेगी। AI को भी मैनेज करने के लिए लोग लगेंगे। AI हमें जो टेक्नोलॉजी डेवलप करके दे रही है, उसकी क्वालिटी चेक के लिए भी मैन पावर की जरूरत पड़ेगी। सैम का कहना है कि AI के आ जाने से VFX का काम कम हो जाएगा।

पुराने एक्टर्स को वापस पर्दे पर देख सकेंगे
सैम के मुताबिक, पुराने एक्टर्स जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं या जो इस दुनिया में नहीं हैं, AI और मशीन लर्निंग की मदद से उन्हें भी फिल्म में दिखा सकते हैं। सैम ने कहा- मान लीजिए X नाम का एक एक्टर है, उसकी उम्र 90 साल है और वो अब फिल्मों में काम नहीं करता। एक जमाने में X बहुत बड़ा सुपरस्टार हुआ करता था।

कोई फिल्ममेकर X को अपनी फिल्म में कुछ देर के लिए दिखाना चाहता है। ऐसे में उसकी पुरानी तस्वीरों और वीडियोज को खंगाला जाएगा। AI उन वीडियोज के जरिए उसके फेशियल एक्सप्रेशन और बातचीत का लहजा पकड़ेगी और हूबहू वैसा ही कैरेक्टर तैयार करके दे देगी। देखने में वो रियल लगेगा और उसे फिल्म में यूज कर लिया जाएगा।

यहां बस समझाने के लिए गांधी जी और स्वामी विवेकानंद की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। AI की मदद से सालों पुरानी इन दोनों फोटोज को मूविंग बनाया गया है।

यहां बस समझाने के लिए गांधी जी और स्वामी विवेकानंद की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। AI की मदद से सालों पुरानी इन दोनों फोटोज को मूविंग बनाया गया है।

सैम ने बताया कि हॉलीवुड में ऐसा कई सालों से होता आया है, लेकिन कुछ एक्टर्स ने अब इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि बिना परमिशन उनकी आवाज या चेहरे को यूज नहीं किया जा सकता।

दिवंगत एक्टर को फिल्म में कास्ट करने की तैयारी
सैम ने बताया कि आने वाले वक्त में वे एक प्रोजेक्ट पर काम करने वाले हैं। उस प्रोजेक्ट में वो एक ऐसे एक्टर को कास्ट करेंगे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। सैम ने उस एक्टर का नाम तो नहीं बताया, लेकिन इतना कहा कि वे पहले उस मरहूम कलाकार के परिवार वालों से इसकी इजाजत लेंगे। कानूनी तौर पर लाइसेंस मिलने के बाद उस एक्टर की आवाज और चेहरे को यूज करेंगे।

सैम ने कहा कि फिल्म में उनका रोल 5 से 6 मिनट का होगा। यह सिर्फ और सिर्फ AI टेक्नोलॉजी की वजह से ही संभव है। इससे फायदा यह है कि उस एक्टर के परिवार वालों को इससे कुछ पैसे भी मिल जाएंगे। सैम ने कहा कि बिना परमिशन किसी के चेहरे और आवाज को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ये खुद में एक क्राइम है।

सैम ने कहा कि हॉलीवुड में पुराने एक्टर्स और सिंगर्स को रॉयल्टी मिलती है, लेकिन इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए, 1997 में रिलीज हुई फिल्म टाइटैनिक आज यानी 2024 में कोई बिजनेस करेगी तो इसमें काम करने वाले सभी कलाकारों को कमाई का कुछ हिस्सा रॉयल्टी के तौर पर मिलेगा।

फिल्म बड़े मियां छोटे मियां की भी कहानी AI पर बेस्ड
आज रिलीज हुई अक्षय कुमार-टाइगर श्रॉफ स्टारर फिल्म बड़े मियां छोटे मियां की भी कहानी AI पर बेस्ड है। फिल्म में विलेन बने एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन AI की मदद से रोबोट बना लेते हैं। यह रोबोट आर्मी ऑफिसर्स के क्लोन मतलब उनके हमशक्ल होते हैं। पृथ्वीराज सुकुमारन का कैरेक्टर इसकी मदद से भारत पर अपने लोगों के जरिए ही अटैक कराना चाहता है। AI का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है, फिल्म की स्टोरीलाइन यही बताती है।

फिल्म आज ही सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।

फिल्म आज ही सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।

AI के खिलाफ सड़क पर उतरे थे हॉलीवुड कलाकार
सैम ने बताया कि फिल्म मेकिंग में AI टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा यूज है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जो हम आए दिन देख रहे हैं। उन्होंने पिछले साल लॉस एंजिल्स में हुए हॉलीवुड राइटर्स की हड़ताल का उदाहरण दिया। दरअसल, लॉस एंजिल्स में पिछले साल (2023) नेटफ्लिक्स के ऑफिस के बाहर 1.71 लाख राइटर्स और एक्टर्स ने प्रोटेस्ट किया था।

उनका कहना था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हॉलीवुड में नए आइडिया, स्टोरी लाइन, डायलॉग और स्क्रिप्ट राइटिंग जैसे काम हो रहे हैं। इसकी वजह से राइटर्स को काम नहीं मिल रहा है, साथ ही उन्हें बर्खास्त भी किया जा रहा है।

हॉलीवुड की कई दिग्गज हस्तियों ने इस प्रोटेस्ट को अपना समर्थन दिया था। इसमें जॉर्ज क्लूनी, मार्क रफालो, जेनिफर लॉरेंस, चार्लिज थेरोन, ओलिविया वाइल्ड जैसे बड़े कलाकार शामिल थे।

स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड (SAG) की मांग थी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए जेनरेटेड फेस और आवाज को एक्टर्स के रिप्लेसमेंट के तौर पर यूज न किया जाए।

स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड (SAG) की मांग थी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए जेनरेटेड फेस और आवाज को एक्टर्स के रिप्लेसमेंट के तौर पर यूज न किया जाए।

डीपफेक वीडियोज भी चिंता का विषय
AI का एक नुकसान और है, जो हम डीपफेक वीडियोज के रूप में देख रहे हैं। सेलिब्रिटीज के फेस को उठाकर किसी और की बॉडी पर चिपका दिया जा रहा है। पिछले दिनों रश्मिका मंदाना का ऐसा ही एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था।

असलियत में वो वीडियो बॉडी ब्रिटिश मूल की मॉडल जारा पटेल की थी, लेकिन AI के मिसयूज की वजह से उनकी बॉडी पर रश्मिका मंदाना का फेस लगा दिया गया था। यह देखने में काफी आपत्तिजनक था। अमिताभ बच्चन सहित कई बड़े एक्टर्स ने इसका विरोध भी किया था।

खुद जारा पटेल (बाएं) ने कन्फर्म किया था कि वीडियो में दिख रही महिला रश्मिका नहीं वो हैं।

खुद जारा पटेल (बाएं) ने कन्फर्म किया था कि वीडियो में दिख रही महिला रश्मिका नहीं वो हैं।

AI तकनीक पर बनने वाली भारत की पहली फिल्म
सैम भट्टाचार्जी ने एक फिल्म बनाई है, जिसका टाइटल है- आयरा (IRAH)। यह भारत की पहली फिल्म है, जो सिर्फ AI टेक्नोलॉजी की मदद से बनाई गई है। फिल्म का सब्जेक्ट भी AI से रिलेटेड ही है। सैम ने हमें अपने ऑफिस पिकल VFX का टूर भी कराया, जहां कई फिल्मों के VFX पर काम हो रहा था।

ग्राफिक्स- विपुल शर्मा

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